रस ( Ras ):-
हिंदी भाषा में "रस" शब्द का अर्थ होता है "रस" या "भाव"। रस संस्कृति और हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण शब्द है जिसका अर्थ होता है रास्ता, मधुर बूंद, रस आदि। रस का अवलोकन रस वाद शास्त्र में होता है जहां भारतीय साहित्यिक रस तत्वों के विभाजन और वर्णन का अध्ययन किया जाता है। हिंदी साहित्य में, रस को नौ प्रकारों में विभाजित किया जाता है। यहां हिंदी भाषा में रस के प्रमुख प्रकारों का वर्णन है:
1. श्रृंगार रस (Shringar Ras):
श्रृंगार रस में प्रेम, रोमांटिकता, आकर्षण और सौंदर्य की भावना होती है। यह रस प्रेम की विभिन्न आवधारणाओं और संवेदनाओं को व्यक्त करता है।
2. हास्य रस (Hasya Ras):
हास्य रस में हंसी, मजाक, खुशी और विनोद की भावना होती है। यह रस हंसी के माध्यम से विभिन्न प्रकार के मजाक और मनोरंजन को प्रकट करता है।
3. वीर रस (Veera Ras):
वीर रस में उत्साह, साहस, शौर्य और वीरता की भावना होती है। यह रस साहसिक कार्यों, युद्ध, लड़ाई और उपहार की भावना को प्रकट करता है।
4. करुण रस (Karuna Ras):
करुण रस में दया, दुःख, शोक और संताप की भावना होती है। यह रस दुःखी हालात, विपत्ति और दुःख की कहानियों में आपातकाल की भावना को प्रकट करता है।
5. रौद्र रस (Raudra Ras):
रौद्र रस में क्रोध, गुस्सा, आग्रह और रुष्टि की भावना होती है। यह रस क्रोध और प्रतिशोध की भावना को प्रकट करता है।
उस काल मरे क्रोध के तन काँपने उसका लगा
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।
6. वीभत्स रस (Vibhatsa Ras):
वीभत्स रस में घृणा, अरुचि और नगण्यता की भावना होती है। यह रस विचित्र और अनुचितता के प्रकरणों में उत्पन्न होता है।
7. भयानक रस (Bhayanak Ras):
भयानक रस में डर, भय, आतंक और विक्षेप की भावना होती है। यह रस भयानक और आतंकवादी प्रश्नों के संदर्भ में प्रकट होता है।
8. अद्भुत रस (Adbhuta Ras):
अद्भुत रस में आश्चर्य, हैरानी और आश्चर्यजनकता की भावना होती है। यह रस आश्चर्यपूर्ण और अद्भुत घटनाओं को प्रकट करता है।
9. शांत रस (Shanta Ras):
शांत रस में शांत शांति, संतुष्टि और आनंद की भावना होती है। यह रस मन को शांत, ध्यानित और संतुष्ट बनाता है।
ये थे हिंदी भाषा में रस के प्रमुख प्रकार। यह रस व्याकरण और साहित्य के अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और भारतीय साहित्य में व्यापक रूप से उपयोग होते हैं। रसों का उपयोग कविताओं, कहानियों, नाटकों और अन्य साहित्यिक रचनाओं में भावों को प्रकट करने के लिए किया जाता है।
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