अर्धचालक , उनके प्रकार तथा विद्युत चालन ( Semiconductors, their types and conduction )

अर्धचालक { semi-conducter }

वे ठोस पदार्थ जिनकी चालकता अचालक पदार्थों से अधिक, व चालक पदार्थों से कम होती है, अर्धचालक कहलाते है।
सामान्य रूप से ज्ञात अर्धचालक सिलिकॉन (Si) तथा जर्मेनियम है। जो आवर्त सारणी के चर्तुथ समूह के तत्व है। अर्धचालकों में सबसे बाहरी कक्ष के इलेक्ट्रान का परमाणु से बंधन न तो इतना अधिक होता है जितना चालको में और न ही इतना दुर्लब होता है जितना की चालको में। 

अर्धचालक के प्रकार { type of semi-conductor }

1.निज अर्धचालक Intrinsic semi-conductors
2. बाह्य अर्धचालक Entrinsic semi-conductors

निज अर्धचालक :- 

वे शुद्ध अर्धचालक जिसमे कोई अशुद्धि न मिली हो , निज अर्धचालक कहलाते है। ex. si, Ge

निज अर्धचालकों में विद्युत का चालान  

हम जानते है कि Ge आवर्त सारणी के IV ग्रुप में आता है। इसका परमाणु क्रमांक 32 होता है इसकी बह्यतम कक्षा में 4 इलेक्ट्रॉन होते है। आन्तरिक कक्षाओं में 28 इलेक्ट्रान पर नाभिक का आकर्षण बल बहुत अधिक होता है। इसलिए इनका धारा प्रवाह में कोई योगदान नही है। केवल बाहरी कक्षा के 4 इलेक्ट्रान ही धारा प्रवाह में योगदान करते है। 
T=0K ताप पर जर्मेनियम Ge परमाणु के 4 इलेक्ट्रान अपने पड़ोसी जर्मेनियम परमाणु के साथ मिलकर सहसंयोजी बंध( covalend bond ) बना लेते है। शून्य ताप पर कोई कोई तापीय ऊर्जा न होने के कारण सभी इलेक्ट्रान सहसंयोजक बन्ध से बध जाते है और शुद्ध जर्मेनियम के आदर्श अचालक की भांति व्यवहार करेगा। 
अब तापीय ऊर्जा बढ़ने पर कुछ covalend bond टूटते है तथा इलेक्ट्रान फ्री हो जाएँगे। इलेक्ट्रान के फ्री रिक्त स्थान को धनावेश के तुल्य मान सकते है। जिसे hole या विवर कहते है। जिस प्रकार इलेक्ट्रान negative charge carrier का काम करता है , उसी प्रकार hole भी possitive charge carrier का काम करता है। 

बाह्य अर्धचालक { Extrinsic semi-conductor }

शुद्ध अर्ध्दचालकों की चालकता को बढ़ाने के लिए इसमे बाहर से पदार्थ अशुद्धि के रूप में मिला दिया जाता है। अशुद्धि मिलने की इस घटना को dopping या मादित अथवा अपमिश्रण कहते है। अशुद्धि मिले इस अर्ध्दचालक को बाह्य अर्ध्दचालक कहते है। 
अशुद्ध अर्ध्दचालकों के प्रकार { extrinsic semi-conductors of type } 
अशुद्ध अर्ध्दचालक दो प्रकार के होते है। 
1. N-टाइप अर्ध्दचालक
2. P-टाइप अर्ध्दचालक

1. N-टाइप अर्ध्दचालक

यदि शुद्ध Ge या Si में (निज-अर्ध्दचालक) v-ग्रुप के पदार्थ जैसे N , P , As , Sb ,Bi  आदि अशुद्धि के रूप में मिला दिया जाए ,तो इस प्रकार बने बाह्य अर्ध्दचालक को N-टाइप अर्ध्दचालक कहते है। 

N-टाइप अर्ध्दचालकों की रचना व चालन विधि
हम जानते है कि v-ग्रुप के पदार्थ जैसे As के बाह्यतम कक्षा में 5 इलेक्ट्रान होते है। इसके 4 इलेक्ट्रान अपने चार पड़ोसी  Ge परमाणु के साथ मिलकर  सहसंयोजी बन्ध बना लेते है। जबकि अशुद्धि का परमाणु अपना 5 वाँ इलेक्ट्रान त्याग केर possitive आयन बन जाता है। अतः अशुद्धि का 1 परमाणु क्रिस्टल को 1 इलेक्ट्रान प्रदान करता है। इसलिए इस अशुद्धि को दाता अशुद्धि  कहते है। अतः अशुद्धि के जितने परमाणु मिलाये जायेगे उतने ही इलेक्ट्रान फ्री होंगे और उतने ही possitie आयन बनेगे जो भारी होने के कारण धारा प्रवाहित होने में कोई योगदान नही करेगे। 
अब तापीय ऊर्जा के कारण कुछ Ge-Ge बन्ध टूट जाती है जिस से electron-hole pair उत्पन्न होते है। इस प्रकार क्रिस्टल में majority carrier इलेक्ट्रान तथा minority carrier hole होंगे। क्योकि धारा-प्रवाह मुख्य रूप से majority carrier इलेक्ट्रान के कारण होता है जिस पर negative charge होता है इसलिए इस बाह्य अर्ध्दचालकों को N-टाइप अर्ध्दचालक कहते है। 

2. P-टाइप अर्ध्दचालक

यदि शुद्ध Ge में III-ग्रुप के पदार्थ जैसे B, Al, Ga, In आदि अशुद्धि के रूप में मिला दिये जाए। तो इस प्रकार बने बाह्य अर्ध्दचालकों को P-टाइप अर्ध्दचालक कहते है। 

हम जानते है कि III-ग्रुप के पदार्ध जैसे In की बाह्य कक्षा में 3 इलेक्ट्रान होते है। ये तीन इलेक्ट्रान अपने पड़ोसी के 3 पड़ोसी Ge के परमाणु से मिलकर covelent bond बनाते है। जबकि चौथा Ge परमाणु का एक इलेक्ट्रान आयुग्मित रह जाता है। अब ताप के कारण कुछ ऐसी परिस्थितिया उत्पन्न होती है। जिससे Ge-Ge bond टूटते है, जिससे इलेक्ट्रान फ्री होते है। फ्री इलेक्ट्रान को अशुद्धि का परमाणु ग्रहण कर लेता है , जहाँ से इलेक्ट्रान आएगा वहाँ hole बन जाएगा। इस प्रकार अशुद्धि का परमाणु क्रिस्टल को hole प्रदान करता है तथा उतने ही negative ion बनेगे जो भारी होने के कारण धारा - प्रवाह में कोई योगदान नही देगें। अब तापीय ऊर्जा के कारण सहसंयोजी बॉन्ड टूटते है। तथा electron-hole युग्म उत्पन्न होते है। इस प्रकार क्रिस्टल में majority charge carrier hole तथा minority charge carrier electron होंगे। क्योकि current flow majority carrier hole के कारण होगा जिस पर possitive charge होता है इसलिए इसको P-टाइप अर्ध्दचालक कहते है। 

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

आपका एक कमेंट हमारे लिए बहुत मान्य रखता है। आपकी कमेंट से ही हमे उत्सुकता मिलती है। इसलिए एक
............... सुंदर सा कमेंट करे........

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!