प्रकाश का परावर्तन तथा अपवर्तन और उनके अनुपयोग, reflection and refraction of light in hindi notes

प्रकाश  Light

प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है जो हमारी आखों को संवेदित करती है । जिसकी वजह से हम वस्तुओ को देखते है।

प्रकाश के गुण(Properties of Light)

1- निर्वात में प्रकाश की चाल 3 X 108 होती है |

2- दृश्य प्रकाश की तरंग दैर्ध्य 3900 A से 7800 A तक होती है |

3- प्रकाश विद्दयुत तरंगो के रूप में सीधी रेखा में चलता है |

4- प्रकाश के कारण वस्तुएं हमे दिखाई देती है , लेकिन प्रकाश स्वयं हमें दिखाई नहीं देता है |  

5- प्रकाश जब किसी तल से टकराता है तो उसका परावर्तन हो जाता है |


नोट- 

  1. जो वस्तुयें प्रकाश उत्पन्न करती हैं , उन्हें प्रदीप्त(Luminous) वस्तुयें कहते हैं   जैसे- सूर्य, मोमबत्त्ती , बल्ब etc.
  2. जो वस्तुयें प्रकाश उत्पन्न नहीं करती हैं , उन्हें अप्रदिप्त(Non-Luminous) वस्तुयें कहते हैं | जैसे- चंद्रमा , किताब , कलम etc.


प्रकाश की किरणों के प्रकार(Types of Rays)

प्रकाश की किरण तीन प्रकार की होती है –

1 – समान्तर

यह किरणें सभी बिन्दुओं पर समान्तर होती हैं |


2 – अभिसारी

यह किरणें स्रोत से निकलकर किसी एक बिंदु पर मिल जातीं हैं |

3 – अपसारी किरणें

यह किरणें स्रोत से फैलती हुई नजर आती हैं , यह किरणें अभिसारी किरणों के ठीक उल्टा होती हैं |




प्रकाशिक माध्यम(Optical Medium)

जिस माध्यम से प्रकाश गुजरता है , उसे प्रकाशिक माध्यम कहते हैं | प्रकाशिक माध्यम तीन प्रकार का होता है –
1 – पारदर्शी माध्यम (Transparent)

जिस माध्यम से प्रकाश आसानी से आर-पार निकल जाता है , उसे पारदर्शी माध्यम कहते हैं |   जैसे- निर्वात , हवा , कांच etc.

2 – पारभासी माध्यम (Transluscent)

जिस माध्यम से प्रकाश का कुछ भाग आर-पार निकल जाता है , उसे पारभासी माध्यम कहते हैं |   जैसे – जल , पर्दा etc.

3 – अपारदर्शी माध्यम (Opaque)

जिस माध्यम से प्रकाश आर-पार आ जा नहीं सकता है , उसे अपारदर्शी माध्यम कहते हैं |   जैसे – लकड़ी , मिटटी etc.


प्रतिबम्ब (Image) –

दर्पण में बनने वाले वस्तु की आकृति को प्रतिबम्ब कहते हैं |
प्रतिबम्ब दो प्रकार का होता है –
1 – वास्तविक प्रतिबम्ब

इसको परदे पर प्राप्त किया जा सकता है | यदि किसी बिंदु से चलने वालीं प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तित होने के पश्चात् किसी दुसरे बिंदु पर वास्तव में मिलतीं हों, तो बनने वाला प्रतिबिम्ब वास्तविक होगा |

2 – आभासी प्रतिबिम्ब

इसको परदे पर प्राप्त नहीं प्राप्त कर सकते हैं , इसका फोटो लिया जा सकता है | यदि किसी बिंदु से चलने वालीं प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तित होने के पश्चात् किसी दुसरे बिंदु पर वास्तव में नहीं मिलती हों , बल्कि मिलती हुई प्रतीत होती हों तब बनने वाला प्रतिबिम्ब आभासी होगा |


प्रकाश का परावर्तन(Reflection of Light)

जब प्रकाश किसी चिकने तल से टकराता है तो वापस अपने मार्ग पर लौट जाता है , यह क्रिया प्रकाश का परावर्तन कहलाता है |जिस तल पर प्रकाश का परावर्तन होता है , उसे परावर्तक तल कहते हैं |

प्रकाश के परावर्तन का नियम(Laws of Reflection) –

प्रकाश के परावर्तन का दो मुख्य नियम है :-
1 – आपतित किरण , परावर्तित किरण और आपतन बिंदु पर अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं |
2 – आपतन कोण , अपवर्तन कोण के बराबर होता है।

गोलीय दर्पण (Spherical Mirror)-

खोखले गोले के पृष्ठ का एक भाग गोलीय दर्पण कहलाता हैं , यह दो प्रकार के होते हैं :-
1 – अवतल दर्पण (Concave Mirror in Hindi)
इस दर्पण में प्रकाश का परावर्तन दर्पण के भीतरी भाग से होता है | इस दर्पण की फोकस दुरी ऋणात्मक (-) होता है |



2 – उत्तल दर्पण (Convex Mirror in Hindi)
इस दर्पण में प्रकाश का परावर्तन दर्पण के उपरी भाग से होता है | इस दर्पण की फोकस दुरी धनात्मक(+) होता है |

गोलीय दर्पण से सम्बंधित परिभाषाएं (Definition related to Spherical Mirror in Hindi)

1 – दर्पण का ध्रुव 
गोलीय दर्पण के परावर्तक तल के मध्य बिंदु को दर्पण का ध्रुव कहते हैं , इसको P से प्रदर्शित करते हैं |
2 – वक्रता केंद्र
गोलीय दर्पण जिस गोले से काटा गया है , उसके केंद्र को उस दर्पण का वक्रता केंद्र कहते हैं | इसको C से प्रदर्शित करते हैं |
3 – वक्रता त्रिज्या
वक्रता केंद्र से ध्रुव तक की दुरी वक्रता त्रिज्या कहलाती है | इसको r से प्रदर्शित करते हैं |
4 – मुख्य अक्ष
वक्रता केंद्र को ध्रुव से मिलाने वाली रेखा , मुख्य अक्ष कहलाती है |
5 – फोकस
प्रकाश की किरणें गोलीय दर्पण से परावर्तित होने के बाद मुख्य अक्ष पर स्थित जिस बिंदु से होकर जाती हैं , उसे फोकस या मुख्य फोकस कहते हैं | इसको F से प्रदर्शित करते हैं |
6 – फोकस दुरी
गोलीय दर्पण के ध्रुव से फोकस तक की दुरी फोकस दुरी कहलाती है इसको f से प्रदर्शित करते हैं |


गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या तथा फोकस दुरी में संबंध (Relation Between Radious of Curvature and Focal Length in Hindi):-

अवतल और उत्तल दर्पण दोनों के लिए –


अवतल दर्पण से प्रतिबिम्ब बनने के नियम (Laws to Make Image From Concave Mirror in Hindi)

a – जब वस्तु अनंत पर रखी हो तब प्रतिबिम्ब दर्पण के मुख्य फोकस पर उल्टा , वास्तिवक तथा वस्तु से बहुत छोटा बनेगा |
b – जब वस्तु वक्रता केंद्र और अनंत के बीच में रखी हो तब प्रतिबिम्ब दर्पण के मुख्य फोकस और वक्रता केंद्र के बीच बनेगा तथा उल्टा , वास्तविक और वस्तु से छोटा होगा |
c – जब वस्तु वक्रता केंद्र पर रखी हो तब प्रतिबिम्ब दर्पण के वक्रता केंद्र पर उल्टा , वास्तविक और वस्तु के बराबर बनता है |
d – जब वस्तु फोकस और वक्रता केंद्र के बीच रखी हो तब प्रतिबिम्ब दर्पण के वक्रता केंद्र और अनंत के बीच बनता है तथा उल्टा , वास्तविक और वस्तु से बड़ा होता है |

e – जब वस्तु मुख्य फोकस पर रखी हो तब प्रतिबिम्ब अनंत पर बनेगा और उल्टा , वास्तविक तथा वस्तु से बड़ा होगा |
f – जब वस्तु मुख्य फोकस और ध्रुव के बीच रखी हो तब प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनेगा तथा सीधा , आभासी और वस्तु से बहुत बड़ा होगा |


उत्तल दर्पण से प्रतिबिम्ब बनने का नियम (Laws to Make Image From Convex Mirror in Hindi):-

उत्तल दर्पण में वस्तु की सभी अवस्थाओं के लिए प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे मुख्य फोकस और ध्रुव के बीच में सीधा , आभासी और वस्तु से छोटा बनेगा |


नोट:-


1 – गोलीय दर्पण से वस्तु की दुरी को ‘u’ से प्रदर्शित करते हैं |
2 – गोलीय दर्पण से प्रतिबिम्ब की दुरी को ‘v’ से प्रदर्शित करते हैं |
3 – अवतल तथा उत्तल दर्पण के लिए ‘u’ का मान हमेशा ऋणात्मक होता हैं |
4 – उत्तल दर्पण के लिए ‘v’ का मान हमेशा धनात्मक होता है |
5 -अवतल दर्पण में अगर वस्तु का प्रतिबिम्ब दर्पण से पीछे बने तब ‘v’ का मान धनात्मक होगा, नहीं तो अन्य सभी अवस्थाओं में ‘v’ का मान ऋणात्मक होगा |


गोलीय दर्पण के लिए u , v तथा f में संबंध (Relation Between u , v and f in Hindi)

अवतल और उत्तल दोनों के लिए


 रेखीय आवर्धन (Linear Magnification in Hindi)-

प्रतिबिम्व की लम्बाई(I) तथा वस्तु की लम्बाई(O) के अनुपात को रेखीय आवर्धन कहते हैं |


अवतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब का रेखीय आवर्धन –
संयुग्मी फोकस (Conjugate focus in hindi)-

उन दो बिन्दुओं को जिनमे एक बिंदु पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब दुसरे बिंदु पर बनता है , संयुग्मी फोकस कहलाता है |


अवतल दर्पण का उपयोग (Use of Concave Mirror in Hindi)-

1- दाढ़ी बनाने में |
2- डॉक्टर द्वारा आँख , कान , गला इत्यादि की जाँच करने में |
3- टेबल लैंप में |
4- गाडियों के हेड लाइटो में |
etc.


उत्तल दर्पण का उपयोग (Use of Convex Mirror in Hindi)-

1- सड़क पर लगे हुए लम्पों में |
2- गाड़ियों में ड्राइवर के बगल में लगा हुआ दर्पण भी उत्तल दर्पण ही होता है |
etc.


प्रकाश का अपवर्तन (समतल पर) {Refraction of Light in Hindi}

जब प्रकाश एक माध्यम से दुसरे माध्यम में जाता है , तो अपने मार्ग से विचलित हो जाता है , यह क्रिया प्रकाश का अपवर्तन कहलाता है |




Note – प्रकाश जब सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाता है तो, अभिलम्ब से दूर हो जाता है।

तथा जब विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाता है तो , अभिलम्ब की ओर आ जाता है ।

अपवर्तन का नियम(Law of Refraction of Light in Hindi)

अपवर्तन के दो नियम हैं –
1- आपतित किरण , अपवर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर खीचा गया अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं |
2- एक रंग के प्रकाश के लिए , किन्हीं दो माध्यमों के बीच अपवर्तन में आपतन कोण की ज्या ( sin i ) , अपवर्तन कोण की ज्या ( sin r ) के समानुपाती होती है |इसे ‘स्नैल का नियम(snell’s law )’ कहते हैं |


यदि आपतन कोण का मान i तथा अपवर्तन कोण का मान r हो , तो

sin i ∝ sin r

जहा ‘n’ समानुपाती नियतांक है , इसको ‘अपवर्तनांक’ कहते हैं ।

अपवर्तनांक (Refractive Index in hindi)

एक माध्यम से सापेक्ष , दुसरे माध्यम का अपवर्तनांक

Note- बैगनी रंग के प्रकाश के लिए अपवर्तनांक सबसे अधिक तथा लाल रंग के प्रकाश के लिए अपवर्तनांक सबसे कम होता है |

अपवर्तनांक के प्रकार(Kinds of Refractive Index in hindi ) –

अपवर्तनांक दो प्रकार का होता है :-
1- सापेक्ष अपवर्तनांक (Relative Refractive Index in hindi)
जब अपवर्तनांक दो माध्यमों के बीच( जैसे-पानी, हवा etc.) निकला जाये तो उसे सापेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं |
2- निरपेक्ष अपवर्तनांक ( Absolute Refractive Index in hindi )
जब अपवर्तनांक निर्वात और किसी माध्यम के बीच निकला जाये तब उसे निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं |


क्रांतिक कोण (Critical Angle in hindi )

आपतन कोण के उस मान को , जिसके लिए अपवर्तन कोण का मान 90 ० हो जाये , क्रांतिक कोण कहते हैं | क्रांतिक कोण को ‘c’ से प्रदर्शित करते हैं |


पूर्ण आन्तरिक परावर्तन ( Total Internal Refraction in hindi )

जब आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक हो जाए , तब प्रकाश किरण परावर्तित होकर उसी माध्यम में वापस लौट जाती है , इस क्रिया को पूर्ण आन्तरिक परावर्तन कहते हैं |


Note – क्रांतिक कोण और पूर्ण आन्तरिक परावर्तन तभी संभव है, जब प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जा रही हो |


प्रिज्म(Prism in Hindi) –

किसी कोण पर झुके हुए किन्ही दो पृष्ठों के बीच स्थित पारदर्शी भाग , प्रिज्म कहलाता है | प्रिज्म के जिन पृष्ठों से प्रकाश का अपवर्तन होता है , उन्हें ‘अपवर्तक पृष्ठ’ कहते हैं तथा उनके बीच के कोण को ‘अपवर्तक कोण’ या ‘प्रिज्म कोण’ कहते हैं |


प्रिज्म के अन्दर जब श्वेत प्रकाश प्रवेश करता है , तो उसके दुसरे भाग से सात रंग का प्रकाश निकलता है, ये सातों रंग क्रमशः लाल(Red) , नारंगी(Orange) , पीला(Yellow) , हरा(Green) , नीला(Blue) , जामुनी(Indigo) तथा बैंगनी(Violet) हैं जिन्हें छोटे रूप में ‘VIBGYOR’ कहते हैं |


प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering of Light in hindi )

जब प्रकाश किरण किसी ऐसे माध्यम से गुजरती है जिसमें छोटे-छोटे कण उपस्थित हो , तब प्रकाश किरण का उन कणों पर प्रकीर्णन हो जाता है | बैगनी रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे ज्यादा तथा लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे कम होता है |


प्रकाश के प्रकीर्णन का उदाहरण


2- खतरे का निशान लाल रंग का होना |
etc.

1- आसमान का रंग नीला होना |


Lens Notes in Hindi (लेन्स नोट्स हिंदी में)
Refraction of light on Lens in Hindi( लेन्स पर प्रकाश का अपवर्तन)
लेन्स (Lens in Hindi)
दो पृष्ठों से घिरा हुआ कोई पारदर्शी माध्यम, जिसका एक या दोनों पृष्ठ गोलीय हों , लेन्स कहलाता है | यह दो प्रकार के होते हैं –

1- उत्तल लेन्स (Convex Lens in Hindi)
यह लेन्स किनारों पर पतले और बीच में मोटे होते हैं , इसे अभिसारी लेन्स भी कहते हैं |

2 – अवतल लेन्स ( Concave Lens in hindi )
यह लेन्स किनारों पर मोटे और बीच में पतले होते हैं , इसे अपसारी लेन्स भी कहते हैं |

लेन्स से सम्बंधित परिभाषाएं (Definition Related to Lens in Hindi)
1 – मुख्य अक्ष
लेन्स के दोनों पृष्ठों के वक्रता केंद्र से होकर जाने वाली रेखा को ‘मुख्य अक्ष’ कहते हैं |

2 – प्रकाशिक केंद्र

लेन्स के मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिंदु जिससे होकर जाने वाली प्रकाश किरण अपवर्तन के पश्चात आपतित किरण के समान्तर निकल जाती है , लेन्स का प्रकाशिक केंद्र कहलाता है |

3 – मुख्य फोकस
उत्तल लेन्स और अवतल लेन्स दोनों के दो मुख्य फोकस होते हैं –

a – प्रथम मुख्य फोकस
उत्तल लेन्स के लिए – वह बिंदु जहाँ से चलने वाली प्रकाश किरणें लेन्स से अपवर्तित होने के बाद मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती हैं , उत्तल लेन्स का मुख्य फोकस कहलाता है | इसे F 1 से प्रदर्शित करते हैं |

अवतल लेन्स के लिए – वह बिंदु जिसपर प्रकाश किरणें आती हुई प्रतीत होती हैं और लेन्स से अपवर्तित होने के बाद मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती हैं , अवतल लेन्स का मुख्य अक्ष कहलाती हैं | इसे F 1 से प्रदर्शित करते हैं |

b – द्वितीय मुख्य फोकस
उत्तल लेन्स की लिए – समान्तर आती हुई प्रकाश किरणें लेन्स से अपवर्तित होने के बाद जिस बिंदु पर मिलती हैं , उसे उत्तल लेन्स का द्वितीय मुख्य फोकस कहते हैं , इसे F 2 से प्रदर्शित करते हैं ।

अवतल लेन्स के लिए – मुख्य अक्ष के समान्तर आती हुई , प्रकाश किरण लेन्स से अपवर्तित होने के बाद जिस बिंदु से फैलती हुई प्रतीत होती हैं , उसे अवतल लेंस का द्वितीय मुख्य फोकस कहते हैं , इसे F 2 से प्रदर्शित करते हैं |

4 – वक्रता त्रिज्या ध्रुव से वक्रता केंद्र की दुरी को वक्रता त्रिज्या कहते हैं |

लेन्स द्वारा प्रतिबिम्ब बनने का नियम ( Principles of making image by lens in hindi )-
उत्तल लेन्स द्वारा
1 – जब वस्तु अनंत पर स्थित हो

जब वस्तु अनंत पर होगी तब बनने वाला प्रतिबिम्ब छोटा , वास्तविक और उल्टा होगा तथा लेन्स के द्वितीय फोकस ( F 1 ) पर बनेगा |

2 -जब वस्तु अनंत और लेन्स के दोगुनी फोकस दुरी ( 2 F 2 ) के बीच स्थित हो

ऐसी स्थिति में प्रतिबिम्ब लेन्स के द्वितीय फोकस दुरी ( F 2 ) और दुगनी द्वितीय फोकस दुरी ( 2 F 2 )के बीच बनेगा तथा छोटा, उल्टा और वास्तविक होगा |
3 – जब वस्तु लेन्स के दुगनी फोकस दुरी( 2 F 1 ) पर स्थित हो

इस स्थिति में प्रतिबिम्ब लेन्स के दुगनी द्वितीय फोकस दुरी ( 2 F 2 ) पर बनेगा और उल्टा , वास्तविक और वस्तु के बराबर ही होगा |

4 – जब वस्तु लेन्स के फोकस दुरी ( F 1 ) और दुगनी फोकस दुरी ( 2 F 1 ) के बीच स्थित हो

इस स्थिति में प्रतिबिम्ब लेन्स के दुगनी द्वितीय फोकस दुरी ( 2 F 2 ) से दूर तथा वास्तविक , उल्टा और वस्तु से बड़ा बनेगा |

5 – जब वस्तु लेन्स के फोकस दुरी ( F 1 ) पर स्थित हो इस स्थिति में प्रतिबिम्ब अनंत पर उल्टा , वास्तविक और वस्तु से बहुत बड़ा बनेगा |

6 – जब वस्तु फोकस दुरी ( F 1 )और लेन्स के बीच स्थित हो

इस स्तिथि में प्रतिबिम्ब वस्तु के पीछे सीधा, आभासी और बड़ा बनेगा |

अवतल लेन्स द्वारा
अवतल लेन्स द्वारा वस्तु के किसी भी स्थिति के लिए प्रतिबिम्ब लेन्स और प्रथम फोकस (F1) के बीच आभासी , सीधा और वस्तु से छोटा बनेगा |

लेन्स के फोकस दुरी के लिए सूत्र (Formula of Lens Focal Length in Hindi)
image here

आवर्धन का सूत्र ( Formula of Magnification in hindi )
image here

लेन्स की क्षमता ( Lens Power in hindi )
प्रकाश किरणों को मोड़ने की क्षमता को लेन्स की क्षमता कहते हैं, जो लेन्स प्रकाश किरणों को जितना अधिक मोड़ता है , वह उतना ही अधिक क्षमता वाला होता है | लेन्स की क्षमता का मात्रक ‘डायोप्टर ‘ है |

लेन्स की क्षमता और फोकस दुरी में संबंध (Relation Between Lens Power and Focal Length in Hindi )
image here

लेंसों का उपयोग ( Uses of Lens in hindi )

उत्तल लेन्स –
1 – सूक्ष्मदर्शी , दूरदर्शी बनाने में |
2 – घड़ीसाज द्वारा घडी की मरम्मत करने में |
3 – डॉक्टर द्वारा आँख , कान , नाक , गला आदि की जाँच करने में |
4 – दूर दृष्टि दोष में उत्तल लेन्स का चश्मा लगाया जाता है |
etc.
अवतल लेन्स –
1 – निकट दृष्टि दोष में , अवतल लेन्स का चश्मा लगाया जाता है |


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1 टिप्पणियाँ
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............... सुंदर सा कमेंट करे........

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